(समाज की गाड़ी पुरुषों और नारियों (दोनों) से चलती है। साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। वर्तमान में सभी भाषाओं में साहित्यरचना में स्त्रियाँ भी तत्पर हैं। और यश लाभ कर रही हैं। संस्कृत साहित्य में प्राचीनकाल से ही साहित्य की समृद्धि में इनका योगदान कमोवेश प्राप्त होता रहा है। इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं के बारे में चर्चा हुई है जिससे साहित्य रूपी कोष को भरने में उनका योगदान ज्ञात होता है।)
हिन्दी अनुवाद : विशाल संस्कृत साहित्य विभिन्न कवियों तथा शास्त्रकारों द्वारा समृद्ध किया गया है। वैदिक काल में आरम्भ से ही शास्त्रों और काव्यों की रचना तथा संरक्षण में जैसे पुरुष दत्तचित्त थे वैसे ही स्त्रियाँ भी सावधानी से लगी हुई प्राप्त होतीं
हैं। वैदिक युग में मन्त्रद्रष्टा न केवल ऋृषि बल्कि ऋषिकाएँ भी थीं। ऋग्वेद में पांच तथा अथर्ववेद में पाँच ऋषिकाएँ मन्त्रद्रष्टा के रूप में उल्लिखित हैं, जैसे- यमा, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी इत्यादि।
हिन्दी अनुवाद : वृहदरण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी दार्शनिक रुचि रखने वाली के रूप में वर्णित है जिसको याज्ञवल्क्य ने आत्मतत्त्व की शिक्षा दी । जनक की सभा में शास्त्रों पर वाद- विवाद करने में कुशल गार्गी वाचक्नवी रहती थी|महाभारत में भी वेदान्त परम्परा का पालन करने वाली स्त्रियों का पर्याप्त वर्णन प्राप्त होता है।
हिन्दी अनुवाद : लौकिक संस्कृतसाहित्य में प्रायः चालीम कवरयत्रियों के एक सौ पचास पद्य स्पष्टरूप से इधर-उधर (विखरे हुए) प्राप्त हॉते हैं। उनमे विजयाड.का प्रथम-कल्पा मानी जाती है। और वह श्यामवण्णा थी यह इस पद्य से स्पष्ट होता है – नोलकमल दल के समान श्याम वर्ण की विजयाद्का को नहीं जानत हुए दषडा द्वार] सरस्वती को व्यर्थ ही सर्वधा शुक्लवणां कहा गया है।
हिन्दी अनुवाद : उनका (विजया्का का) समय आठवीं शती अनुमान किया गया है। चालुक्य वंश के चन्द्रादित्य की रानी विजयभट्टारिका ही विजयाड़का है ऐसा बहुत लोग मानते हैं। इसके अतिरिवत शीला भट््रिका, देव कुमारिका रामद्रम्भा
इत्यादि । दक्षिण भारतीय संस्कृत लेखिकाएँ अपने प्वतः स्फूर्त कविताओं के कारण [प्रविदर्ण हुई हैं।
हिन्दी अनुवाद : विजयनगर राज्य के राजा संस्कृत भाषा के विकास एवं रक्षा की लिये प्रयासरत रहते थे यह तो विख्यात ही है। उनके अन्तःपुर में संस्कृत भाषा में रचना करने में कुशल रानियाँ भी हुई हैं। कम्पणराय (चौदहवीं शती) की रानी गड्गा देवी ने अपने पति द्वारा मदुरै-विजय की घटना को आधार बना कर ‘मधुराविजयम्’ नामक महाकाव्य की रचना की। उसमें अलङ्कारों का समावेश बड़ा सुंदर है । उसी (विजयनगर) राज्य में सोलहवीं शती में शासन करने वाले अच्युतराय की रानी तिरुमलाम्बा ने ‘वरदाम्बिका परिणय’ नामक उन्नत चम्पूकाव्य की रचना की। उसमें समस्त पदावली और ललित पद विन्यास की दृष्टि से संस्कृत गद्य की छटा बड़ा ही सुन्दर है। संस्कृत साहित्य में प्रयुक्त सबसे बड़े पद भी वहाँ ही प्राप्त होते हैं।
हिन्दी अनुवाद : वर्तमान समय में संस्कृत लेखिकाओं में पण्डित क्षमाराव (1890-1953 ई०) नाम की विदुषी बहुत ही प्रसिद्ध हुई हैं। उनके द्वारा अपने पिता शंकर पाण्डुरंग पण्डित की महान विद्वतापूर्ण जीवन चरित ‘शंकरचरितम्’ रचा गया।
गान्धीदर्शन से प्रभावित उन्होंने सत्याग्रह गीता, मीरा लहरी, कथा मुक्तावली, विचित्र परिषद् यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य तथा पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमान काल
में लेखन में रत कवयित्रियों में पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र इत्यादि (अपनी रचनाओं से) संस्कृत साहित्य को दिन-प्रतिदिन भर रही हैं अर्थात्समृद्ध कर रही हैं।
सारांश
जैसे समाज रूपी गाडी के दो पहिए पुरुष और स्त्री हैं और दोनों पहियों का समान महत्त्व होता है वैसे ही साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। संस्कृत साहित्य में भी स्त्रियों का सराहनीय योगदान रहा है। ऋगवेद में चौबीस तथा अथर्ववेद में पाँच मन्त्रद्रष्टा ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है। जैसे- यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी तथा वागाम्भृणी इत्यादि। याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रयी तथा जनक की सभा में शास्त्रार्थकुशला गार्गी वाचक्नवी का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
लौकिक संस्कृत साहित्य में भी अनेक कवयित्रियों की कविताएँ मिलती हैं। विजयाङ्का का स्थान सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । श्यामवर्णा विजयाङ्का का मूल नाम
विजयभट्टारिका था जो आठवीं शती के चालुक्यवंशीय चन्द्रादित्य की रानी थी। इसके अतिरिक्त शीला भट्टारिका, देव कुमारिका, रामभद्राम्बा इत्यादि दक्षिण भारतीय संस्कृत
लेखिकाएँ अपनी स्वत: स्फूर्त काव्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। विजयनगर राज्य के चौदहवीं शती के राजा कम्पणराय की रानी गङ्गा देवी द्वारा रचित ‘मधुराविजयम्’ महाकाव्य अपने सुन्दर अलङ्कारों के लिये प्रसिद्ध है। विजय नगर राज्य के ही सोलहवीं शती के राजा अच्युतराय की रानी तिरुमलाम्बा द्वारा रचित ‘वरदाम्बिकापरिणय’ नामक प्रौढ चम्पूकाव्य अपने दीर्घतम पदों के लिये विख्यात है। आधुनिकाल की संस्कृत लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव ने अपने पिता शंकर पाण्डुरंग पण्डित का जीवन चरित ‘शंकरचरितम्’ की रचना की। इसके अतिरिक्त पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र इत्यादि कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया है।
5. ऋग्वेद में कितनी मन्त्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है?
(A) पञ्च
(B) विंशतिः
(C) चतुर्विंशति:
(D) चत्वारिंशत्
उत्तर-(c)
6. याज्ञवलक्य की पत्नी कौन थीं?
(A) मैत्रेयी
(B) देवकुमारिका
(C) सुलभा
(D) रामभद्राम्बा
उत्तर-(A)
7. महाभारत में किस लेखिका का उल्लेख मिलता है
(A) गागी का
(B) मैत्रेयी का
(C) सुलभा का
(D) यमी का
उत्तर-(c)
[8]क्षमाराव किस काल के लेखक हैं ?
(A) आधुनिक काल
(B) मध्यकाल
(C) प्राचीनकाल
(D) उपर्युक्त कोई नहीं
Answer – A
[9] पुरुषों और नारियों के सहयोग से किसकी गाड़ी चलती है ?
(A) देश का
(B) नगर का
(C) प्रांत का
(D) समाज की
Answer-D
[10] कंपनराय की रानी कौन थी ?
(A) पुष्पादीक्षित
(B) तिरुमलाम्बा
(C) गंगादेवी
(D) पं० क्षमारा
Answer -C
[11] इन्द्राणी का वर्णन किस वेद में है ?
(A) अथर्ववेद
(B) ऋग्वेद
(C) सामवेद
(D) कोई नहीं
Answer – A
[12] मीरा लहरी की लेखिका कौन है ?
(A) पुष्पादीक्षित
(B) तिरुमलाम्बा
(C) गंगादेवी
(D) पं० क्षमाराव
Answer – D
[13] “संस्कृतसाहित्ये लेखिका:’ पाठ में किसके महत्व का वर्णन किया गया है ?
(A) पुरुष
(B) दुर्जन
(C) सज्जन
(D) औरत
Answer – D
[14] आधुनिक संस्कृत साहित्यलेखिका में कौन प्रसिद्ध है।
(A) क्षमाराव
(B) उर्मीला देवी
(C) शांति देवी
(D) गंगा देवी
Answer – A
[15] शंकर-चरित्रम् की रचना किसने की ?
(A) पुष्पादीक्षित
(B) तिरुमलाम्बा
(C) गंगादेवी
(D) पं० क्षमाराव
Answer – D
[16] लौकिक संस्कृत साहित्य में चालीस कवयित्रियों में प्रथम कल्पा कौन थी ?
(A) सरस्वती
(B) विजयांका
(C) गार्गी
(D) मैत्रेयी
Answer – B
[17] ऋग्वेद में कितनी महिलाओं का वर्णन है ?
(A) 24
(B) 20
(C) 18
(D) 16
Answer – A
[18] अथर्ववेद में कितनी महिलाओं का वर्णन है ?
(A) 7
(B) 5
(C) 6
(D) 8
Answer – B
[19] अच्युतराय की रानी कौन थी ?
(A) इन्द्राणी
(B) गंगादेवी
(C) उर्वशी
(D) तिरुमलाम्बा
Answer – D
[20] किस युग में मन्त्रों की दर्शिका ने केवल ऋषि बल्कि ऋषिका भी थी ?
(A) सामन्त युग
(B) कलियुग
(C) वैदिक युग
(D) सतयुग
Answer – C
[21] याज्ञवल्क्य ने अपनी पत्नी को क्या शिक्षा दी ?
(A) नीति की
(B) धर्म की
(C) अर्थ की
(D) आत्मतत्त्व की
Answer -D
[22] मधुराविजयम् महाकाव्य की रचना किसने की ?
(A) पुष्पादीक्षित
(B) तिरुमलाम्बा
(C) गंगादेवी
(D) पं० क्षमाराव
Answer – B
[23] वदराम्बिकापरिणय संहाकाव्य की रचना किसने की?
(A) पुष्पादीक्षित
(B) तिरुमलाम्बा
(C) गंगादेवी
(D) पं० क्षमाराव
Answer – B
[24] जनक की सभा में शास्त्रार्थकुशली कौन विदुषी रहती थी?
(A) पुष्पादीक्षित
(B) गाग्गी
(C) गंगादेवी
(D) पं० क्षमाराव
1. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर– संस्कृत की सेवा जिस प्रकार पुरुषों ने की है उसी प्रकार महिलाओं ने भी वैदिक युग से आजतक इसमें भाग लिया है। प्राय: इस विषय की उपेक्षहु ई है। प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से संस्कृत की प्रमुख लेखिकाओं का उल्लेखकिया गया है। उनके योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास में अमर है।
2. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर-आधुनिक काल में लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव का नाम प्रसिद्ध है। उनके द्वारा अपने पिता शंकर पाण्डुरंग के महान विद्वता का जीवन चरित (शङ्कर रचित) को पूरा किया। गाँधी-दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरा लहरी, कथामुक्तावली, विचित्र परिषद्यामा, तथा ग्रामज्योति जैसे अनेक ग्रन्थों को लिखा। ये सभी लेखन इनके उदारपूर्ण योगदान का परिचायक हैं।
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