संस्कृत साहित्य लेखिका क्लास 10

संस्कृत साहित्य लेखिका क्लास 10

   संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः

(समाजस्य यानं पुरुषैः नारीभिश्च चलति। साहित्येऽपि उभयोः समान महत्त्वम्॥अघुना सर्वभाषासु साहित्यरचनायां स्त्रियोsपि तत्पराः सन्ति यशश्च लभन्ते। संस्कृतसाहित्ये प्राचीनकालादेव साहित्यसमृद्धौ योगदानं न्यूनाधिकं प्राप्यते पाठेऽस्मिन्नतिप्रसिद्धानां लेखिकानामेव चर्चा वर्तते येन साहित्यनिधिपूरणे तासां योगदानं ज्ञायते।)

(समाज की गाड़ी पुरुषों और नारियों (दोनों) से चलती है। साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। वर्तमान में सभी भाषाओं में साहित्यरचना में स्त्रियाँ भी तत्पर हैं। और यश लाभ कर रही हैं। संस्कृत साहित्य में प्राचीनकाल से ही साहित्य की समृद्धि में इनका योगदान कमोवेश प्राप्त होता रहा है। इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं के बारे में चर्चा हुई है जिससे साहित्य रूपी कोष को भरने में उनका योगदान ज्ञात होता है।)

1. विपुलं संस्कृतसाहित्यं विभिनैः कविभिः शास्त्रकारैश्च संवर्धितम्। वैदिककालादारभ्य शास्त्राणां काव्यानाञ्च रचने संरक्षणे च यथा पुरुषा: दत्तचित्ताः अभवन् तथैव स्त्रियोऽपि दत्तावधानाः प्राप्यन्ते। वैदिकयुगे मन्त्राणां दर्शका न केवला ऋषयः, प्रत्युत ऋषिका अपि सन्ति। ऋग्वेदे चतुर्विंशतिरथर्ववेदे च पञ्च ऋषिका: मन्त्रदर्शनवत्यो निर्दिश्यन्ते यथा-यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्रणी, वागाम्भृणी ईत्यादयः।

हिन्दी अनुवाद : विशाल संस्कृत साहित्य विभिन्न कवियों तथा शास्त्रकारों द्वारा समृद्ध किया गया है। वैदिक काल में आरम्भ से ही शास्त्रों और काव्यों की रचना तथा संरक्षण में जैसे पुरुष दत्तचित्त थे वैसे ही स्त्रियाँ भी सावधानी से लगी हुई प्राप्त होतीं
हैं। वैदिक युग में मन्त्रद्रष्टा न केवल ऋृषि बल्कि ऋषिकाएँ भी थीं। ऋग्वेद में पांच तथा अथर्ववेद में पाँच ऋषिकाएँ मन्त्रद्रष्टा के रूप में उल्लिखित हैं, जैसे- यमा, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी इत्यादि।

2. वृहदारण्यकोपनिषदि याज्ञवलक्यस्य पत्नी मैत्रेयी दार्शनिकरुचिमती वर्णिता यां याज्ञवल्क्यं आत्मतत्त्वं शिक्षयति । जनकस्य सभायां शास्त्रार्थकुशला गा्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म। महाभारतेऽपि जीवनपर्यन्तं वेदान्तानुशीलनपरायाः सुलभाया वर्णन लभ्यते।

हिन्दी अनुवाद : वृहदरण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी दार्शनिक रुचि रखने वाली के रूप में वर्णित है जिसको याज्ञवल्क्य ने आत्मतत्त्व की शिक्षा दी । जनक की सभा में शास्त्रों पर वाद- विवाद करने में कुशल गार्गी वाचक्नवी रहती थी|महाभारत में भी वेदान्त परम्परा का पालन करने वाली स्त्रियों का पर्याप्त वर्णन प्राप्त होता है।

3. लौकिकसंस्कृतसाहित्ये प्रायेण चत्वारिंशत्कवयित्रीणां सार्धशतं पद्यानि स्फुटरूपेण इतस्ततो लभ्यन्ते। तासु विजयाद्का प्रथम-कल्पा वर्तते। सा च श्यामवर्णासीदिति  

पद्येनानेन स्फुटीभवति –

नीलोत्पलदलश्यामां विजयाङ्कामजानता।

वृथैव दण्डिना प्रोक्ता ‘सर्वशुक्ला सरस्वती ‘ ।

हिन्दी अनुवाद : लौकिक संस्कृतसाहित्य में प्रायः चालीम कवरयत्रियों के एक सौ पचास पद्य स्पष्टरूप से इधर-उधर (विखरे हुए) प्राप्त हॉते हैं। उनमे विजयाड.का प्रथम-कल्पा मानी जाती है। और वह श्यामवण्णा थी यह इस पद्य से स्पष्ट होता है – नोलकमल दल के समान श्याम वर्ण की विजयाद्का को नहीं जानत हुए दषडा द्वार] सरस्वती को व्यर्थ ही सर्वधा शुक्लवणां कहा गया है।

4.विजयभट्टारिकैव विजयाह्का इति वहवो मन्यते। किञ्च शीला नट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्या-प्रभृतयो दक्षिणभारतीया संस्कृतलेखिका: स्वम्फुटपधै प्रसिद्धाः।

हिन्दी अनुवाद : उनका (विजया्का का) समय आठवीं शती अनुमान किया गया है। चालुक्य वंश के चन्द्रादित्य की रानी विजयभट्टारिका ही विजयाड़का है ऐसा बहुत लोग मानते हैं। इसके अतिरिवत शीला भट््रिका, देव कुमारिका रामद्रम्भा 
 इत्यादि । दक्षिण भारतीय संस्कृत लेखिकाएँ अपने प्वतः स्फूर्त कविताओं के कारण [प्रविदर्ण हुई हैं।

5. विजययनगरराज्यस्य नरेशा: संस्कृतभाषासंरक्षणाय कृतप्रयासा आसनिति विरिद्वितमेव तेषामन्तःपुरेऽपि संस्कृतरचनाकुशला: राज्ञयोऽभवन् कम्पणरायस्य (चतुर्दशशतकम् )राज्ञी गङ्गादेवी ‘मधुराविजयम्” इति महाकाव्यं स्वस्वामिनो (मदुरै ) – विजयघटनामाश्रित्यारचयत्। तत्रालङ्काराणां संनिवेशः आवर्जको वर्तते। तस्मिन्नेव. राज्ये षोडशशतके शासनं कुर्वतः अच्युतरायस्य राज्ञी तिरुमला्बा वरदाम्बिकापरिणय-नामकं प्रौढं चम्पूकाव्यमरचयत् । तत्र संस्कृतगद्यस्य छटा समस्तपदावल्या ललितपदविन्यासेन चातीव शोभते।संस्कृतसाहित्ये प्रयुक्तं दीर्घतमं समस्तपदमपि तत्रैव लभ्यते।

हिन्दी अनुवाद : विजयनगर राज्य के राजा संस्कृत भाषा के विकास एवं रक्षा की लिये प्रयासरत रहते थे यह तो विख्यात ही है। उनके अन्तःपुर में संस्कृत भाषा में रचना करने में कुशल रानियाँ भी हुई हैं। कम्पणराय (चौदहवीं शती) की रानी गड्गा देवी ने अपने पति द्वारा मदुरै-विजय की घटना को आधार बना कर ‘मधुराविजयम्’ नामक महाकाव्य की रचना की। उसमें अलङ्कारों का समावेश बड़ा  सुंदर  है । उसी (विजयनगर) राज्य में सोलहवीं शती में शासन करने वाले अच्युतराय की रानी तिरुमलाम्बा ने ‘वरदाम्बिका परिणय’ नामक उन्नत चम्पूकाव्य की रचना की। उसमें समस्त पदावली और ललित पद विन्यास की दृष्टि से संस्कृत गद्य की छटा बड़ा ही सुन्दर है। संस्कृत साहित्य में प्रयुक्त सबसे बड़े पद भी वहाँ ही प्राप्त होते हैं।

6. आधुनिककाले संस्कृतलेखिकासु पण्डिता क्षमाराव (1890-1953 ई० ) नामधेथा विदुषी अतीव प्रसिद्धा। तया स्वपितुः शंकरपाण्डुरंगपण्डितस्य महतो विदुषो जीवनचरितशङ्करचरितम्’ इति रचितम्। गान्धिदर्शनप्रभाविता सा सत्याग्रहगीता, मीरालहरी कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद्यात्रा, ग्रामज्योतिः इत्यादीन् अनेकान् गद्य-पद्यग्रन्थान् प्रणीतवती। वर्तमानकाले लेखनरतासु कवयित्रीषु पुष्पादीक्षित-वनमाला भवालकर-मिथिलेश कुमारी मिश्र-प्रभृतयोऽनुदिनं संस्कृतसाहित्यं पूरयन्ति।

हिन्दी अनुवाद : वर्तमान समय में संस्कृत लेखिकाओं में पण्डित क्षमाराव (1890-1953 ई०) नाम की विदुषी बहुत ही प्रसिद्ध हुई हैं। उनके द्वारा अपने पिता शंकर पाण्डुरंग पण्डित की महान विद्वतापूर्ण जीवन चरित ‘शंकरचरितम्’ रचा गया।
गान्धीदर्शन से प्रभावित उन्होंने सत्याग्रह गीता, मीरा लहरी, कथा मुक्तावली, विचित्र परिषद् यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य तथा पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमान काल
में लेखन में रत कवयित्रियों में पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र इत्यादि (अपनी रचनाओं से) संस्कृत साहित्य को दिन-प्रतिदिन भर रही हैं अर्थात्समृद्ध कर रही हैं।
 

                       सारांश

जैसे समाज रूपी गाडी के दो पहिए पुरुष और स्त्री हैं और दोनों पहियों का समान महत्त्व होता है वैसे ही साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। संस्कृत साहित्य में भी स्त्रियों का सराहनीय योगदान रहा है। ऋगवेद में चौबीस तथा अथर्ववेद में पाँच मन्त्रद्रष्टा ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है। जैसे- यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी तथा वागाम्भृणी इत्यादि। याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रयी तथा जनक की सभा में शास्त्रार्थकुशला गार्गी वाचक्नवी का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
लौकिक संस्कृत साहित्य में भी अनेक कवयित्रियों की कविताएँ मिलती हैं। विजयाङ्का का स्थान सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । श्यामवर्णा विजयाङ्का का मूल नाम
विजयभट्टारिका था जो आठवीं शती के चालुक्यवंशीय चन्द्रादित्य की रानी थी। इसके अतिरिक्त शीला भट्टारिका, देव कुमारिका, रामभद्राम्बा इत्यादि दक्षिण भारतीय संस्कृत

लेखिकाएँ अपनी स्वत: स्फूर्त काव्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। विजयनगर राज्य के चौदहवीं शती के राजा कम्पणराय की रानी गङ्गा देवी द्वारा रचित ‘मधुराविजयम्’ महाकाव्य अपने सुन्दर अलङ्कारों के लिये प्रसिद्ध है। विजय नगर राज्य के ही सोलहवीं शती के राजा अच्युतराय की रानी तिरुमलाम्बा द्वारा रचित ‘वरदाम्बिकापरिणय’ नामक प्रौढ चम्पूकाव्य अपने दीर्घतम पदों के लिये विख्यात है। आधुनिकाल की संस्कृत लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव ने अपने पिता शंकर पाण्डुरंग पण्डित का जीवन चरित ‘शंकरचरितम्’ की रचना की। इसके अतिरिक्त पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र इत्यादि कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया है।

                     अभ्यास: (लिखितः)

1. एकपदेन उत्तरं दत्त-

(क) कस्मिन् युगे मन्त्राणां दर्शका न केवला ऋषय: प्रत्युत ऋषिका अपि सन्ति?
(ख) वागाम्भृणी कुत्र ऋषिका निर्दिश्यते?
(ग) यावल्क्यस्य पत्नी का आसीत्?
(घ) कस्य सभायां शास्त्रार्थकुशला गार्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म?
(ङ) लौकिकसंस्कृतसाहित्ये चत्वारिंशत्कवयित्रीणां प्रथमकल्पा का वर्तते?
(च) लौकिकसंस्कृतसाहित्ये कियतीनां कवयित्रीणां वर्णनं लभ्यते?
(छ) विजयभट्टारिका कस्य राज्ञी आसीत्?

उत्तर- (क) वैदिके

         (ख) वेदे

         (ग) मेत्रेयी

         (घ) जनकस्य

         (ङ) विजयाङ्का

         (च) चत्वारिंशत्

         (छ) चन्द्रादित्यस्य

       

    अभ्यासः (मौखिकः)

1. एकपदेन उत्तरं वदत-

(क) विपुलं किम् अस्ति?

(ख) विपुलं संस्कृतसाहित्यं कै: संवद्द्धितम्?

(ग) काव्यानाम् रचने संरक्षणे च काः दत्तावधाना:?

(घ) गङ्गादेवी किं महाकाव्यम् अरचयत् ?

(ङ) आधुनिकसंस्कृतलेखिकासु का प्रसिद्धा?

उत्तर-

        (क) संस्कृतसाहित्यम्

      (ख) विभिन्नै: कविभि: शास्कारैश्च

      (ग) स्त्रिय:

     (घ) मधुराविजयम्

     (ङ) पण्डिता क्षमाराव

संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः वस्तुनिष्ठ  प्रश्न

1. याज्ञवल्क्य ने आत्मतत्व की शिक्षा किसको दी थी?

(A) गार्गी को

(B) रामभद्राम्बा को

(C) मैत्रेयी को

(D) सुलभ को

उत्तर– C 

2. ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ किसने कहा है?

(A) बाणभट्ट ने

(B) दण्डी ने

(C) याज्ञवलश्य ने

(D) जनक ने

Answer B

3. गङ्गा देवी का समय क्या है?

(A) चौदहवीं सदी

(B) नवमीं सदी

(C) आठवीं सदी

(D) बारहवीं सदी 

Answer c

4. आधुनिक काल की संस्कृत कवयित्री कौन हैं?

(A) तिरूमलम्ब

(B) विजयाङ्का

(C) पण्डिता क्षमाराव

(D) सुलभ

उत्तर-(c)

5. ऋग्वेद में कितनी मन्त्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है?

(A) पञ्च

(B) विंशतिः

(C) चतुर्विंशति:

(D) चत्वारिंशत् 

उत्तर-(c)

6. याज्ञवलक्य की पत्नी कौन थीं?

(A) मैत्रेयी

(B) देवकुमारिका

(C) सुलभा

(D) रामभद्राम्बा

उत्तर-(A)

7. महाभारत में किस लेखिका का उल्लेख मिलता है 

(A) गागी का

(B) मैत्रेयी का

(C) सुलभा का

(D) यमी का

उत्तर-(c)

[8]क्षमाराव किस काल के लेखक हैं ?

(A) आधुनिक काल

(B) मध्यकाल

(C) प्राचीनकाल

(D) उपर्युक्त कोई नहीं

Answer – A

[9] पुरुषों और नारियों के सहयोग से किसकी गाड़ी चलती है ?

(A) देश का

(B) नगर का

(C) प्रांत का

(D) समाज की

Answer-D

[10] कंपनराय की रानी कौन थी ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमारा

 Answer -C 

[11] इन्द्राणी का वर्णन किस वेद में है ?

(A) अथर्ववेद

(B) ऋग्वेद

(C) सामवेद

(D) कोई नहीं

Answer – A 

[12] मीरा लहरी की लेखिका कौन है ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Answer – D 

[13] “संस्कृतसाहित्ये लेखिका:’ पाठ में किसके महत्व का वर्णन किया गया है ?

(A) पुरुष

(B) दुर्जन

(C) सज्जन

(D) औरत

Answer – D 

[14] आधुनिक संस्कृत साहित्यलेखिका में कौन प्रसिद्ध है।

(A) क्षमाराव

(B) उर्मीला देवी

(C) शांति देवी

(D) गंगा देवी

Answer – A

 [15] शंकर-चरित्रम् की रचना किसने की ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Answer – D 

[16] लौकिक संस्कृत साहित्य में चालीस कवयित्रियों में प्रथम कल्पा कौन थी ?

(A) सरस्वती

(B) विजयांका

(C) गार्गी

(D) मैत्रेयी

Answer – B 

[17] ऋग्वेद में कितनी महिलाओं का वर्णन है ?

(A) 24

(B) 20

(C) 18

(D) 16

Answer – A 

[18] अथर्ववेद में कितनी महिलाओं का वर्णन है ?

(A) 7

(B) 5

(C) 6

(D) 8

Answer – B  

[19] अच्युतराय की रानी कौन थी ?

(A) इन्द्राणी

(B) गंगादेवी

(C) उर्वशी

(D) तिरुमलाम्बा

Answer – D 

[20] किस युग में मन्त्रों की दर्शिका ने केवल ऋषि बल्कि ऋषिका भी थी ?

(A) सामन्त युग

(B) कलियुग

(C) वैदिक युग

(D) सतयुग

Answer – C 

[21] याज्ञवल्क्य ने अपनी पत्नी को क्या शिक्षा दी ?

(A) नीति की

(B) धर्म की

(C) अर्थ की

(D) आत्मतत्त्व की

 Answer -D 

[22] मधुराविजयम् महाकाव्य की रचना किसने की ?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

Answer – B 

[23] वदराम्बिकापरिणय संहाकाव्य की रचना किसने की?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) तिरुमलाम्बा

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

 Answer – B 

[24] जनक की सभा में शास्त्रार्थकुशली कौन विदुषी रहती थी?

(A) पुष्पादीक्षित

(B) गाग्गी

(C) गंगादेवी

(D) पं० क्षमाराव

1. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर– संस्कृत की सेवा जिस प्रकार पुरुषों ने की है उसी प्रकार महिलाओं ने  भी वैदिक युग से आजतक इसमें भाग लिया है। प्राय: इस विषय की उपेक्षहु ई है। प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से संस्कृत की प्रमुख लेखिकाओं का उल्लेखकिया गया है। उनके योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास में अमर है।

2.  संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर-आधुनिक काल में लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव का नाम प्रसिद्ध है। उनके द्वारा अपने पिता शंकर पाण्डुरंग के महान विद्वता का जीवन चरित (शङ्कर रचित) को पूरा किया। गाँधी-दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरा लहरी, कथामुक्तावली, विचित्र परिषद्यामा, तथा ग्रामज्योति जैसे अनेक ग्रन्थों को लिखा। ये सभी लेखन इनके उदारपूर्ण योगदान का परिचायक हैं।

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