इस पोस्ट के अंतर्गत हम लोग आज बिहार बोर्ड पॉलिटिकल सइंस Ch- 1.दो ध्रुवीयता का अंत के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों , महत्वपूर्ण तथ्यों तथा महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर जो आपके एग्जाम में पूछे जा सकते हैं कि चर्चा करेंगे । अतः आप कक्षा 12 के स्टूडेंट है तो यह पोस्ट आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी। इस पोस्ट के अंतर्गत हम आपको इस चैप्टर के अति लघु उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के बारे में बताएंगे जो आपके एग्जाम में पूछे जा सकते हैं
Table of Contents
Bihar Board Class 12th Political Science Key points.
नीचे हम आपको कुछ कीप्वाइंट्स दे रह जिसके माध्यम से आप इस चैप्टर के महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझ पाएंगे आप इन बिंदुओं को याद कर ले.
दो ध्रुवीयता का अंत
महत्वपूर्ण बिंदु:
दो ध्रुवीयता का तात्पर्य उस स्थिति से है, जब दुनिया दो शक्तिशाली गुटों में विभाजित थी:
- पश्चिमी गुट (USA): पूंजीवादी विचारधारा का समर्थन करता था।
- पूर्वी गुट (USSR): समाजवादी और साम्यवादी विचारधारा का समर्थन करता था।
सोवियत संघ के विघटन के कारण:
- आर्थिक समस्याएँ: योजना आधारित अर्थव्यवस्था प्रतिस्पर्धात्मक नहीं थी।
- राजनीतिक समस्याएँ: लोकतंत्र का अभाव और भ्रष्टाचार।
- गोरबाचेव के सुधार: पेरोस्त्रोइका और ग्लासनोस्त।
- राष्ट्रवादी आंदोलन: बाल्टिक राज्यों और अन्य गणराज्यों में स्वतंत्रता की माँग।
- अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव।
सोवियत संघ का विघटन और परिणाम:
- 15 नए स्वतंत्र देश बने।
- विश्व राजनीति में एकध्रुवीय व्यवस्था का उदय।
- जर्मनी का पुनः एकीकरण और लोकतंत्र का प्रसार।
महत्वपूर्ण शब्दावली:
- शीत युद्ध: अमेरिका और सोवियत संघ के बीच वैचारिक संघर्ष।
- ग्लासनोस्त: खुलेपन की नीति।
- पेरोस्त्रोइका: आर्थिक और राजनीतिक सुधार की प्रक्रिया।
- नया विश्व व्यवस्था: एकध्रुवीय विश्व का गठन।
Bihar Board Class 12th Political Science Objective Questions Answer ch-1.दो ध्रुवीयता का अंत
नीचे हम इस चैप्टर के कुछ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठप्श्न दे रहे हैं । जिसे आप याद रखें ये सारे प्रश्न पिछले परीक्षाओं में पूछे गए हैं या आगे कि परीक्षाओं में पूछे जा सकते है। इसका answer जानने के लिए आप Show Explaination Button पर क्लिक करें आप उस प्रश्न का जवाब तथा Explaination जान पाएंगे।
Objective Question Answer
1. शीत युद्ध के संदर्भ में एल०डी०सी० से क्या अभिप्राय है? (2023)
- (A) अल्प विकसित देश
- (B) नेतृत्व विकास पाठ्यक्रम
- (C) साक्षरता डिजाइन सहयोग
- (D) इनमें से कोई नहीं
Explanation: संयुक्त राष्ट्र ने एलडीसी को ऐसे देशों के रूप में परिभाषित किया है जिनकी आय का स्तर कम है और जो सतत विकास के लिए गंभीर संरचनात्मक बाधाओं का सामना करते हैं ।
Least developed countries (LDCs) are low-income countries confronting severe structural impediments to sustainable development. They are highly vulnerable to economic and environmental shocks and have low levels of human assets.
2. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच की दुश्मनी जानी जाती है-
- (A) रंगभेद की नीति के रूप में
- (B) शीत युद्ध के रूप में
- (C) गुट निरपेक्षता की नीति के रूप में
- (D) गर्म युद्ध के रूप में
Explanation:द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी देशों तथा सोवियत संघ और उसके उपग्रह देशों के बीच वर्चस्व के लिए दशकों तक संघर्ष चला जिसे शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के सैनिकों ने सीधे युद्ध नहीं किया।
3. शीत युद्ध का कालखंड था-
- (A) 1914 से 1919
- (B) 1939 से 1945
- (C) 1945 से 1991
- (D) 1965 से 1991
Explanation: 1945–1952 : प्रारंभिक शीत युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य शक्तियों में से एक के रूप में उभरा। युद्धकालीन उत्पादन ने अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकाला और उसे बड़े मुनाफे की ओर अग्रसर किया।
4. नाटो की स्थापना कब हुई थी?
- (A) 1942
- (B) 1945
- (C) 1949
- (D) 1950
Explanation: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), 1949. उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन की स्थापना 1949 में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा सोवियत के विरुद्ध सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी।
5. ‘सीटो’ और ‘सेंटो’ किस प्रकार के संगठन थे?
- (A) सैनिक गठबंधन
- (B) आर्थिक गठबंधन
- (C) सांस्कृतिक गठबंधन
- (D) गैर-सरकारी गठबंधन
Explanation:दक्षिण पूर्व एशिया संधि संगठन (SEATO), 1954. सितम्बर 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, थाईलैंड और पाकिस्तान ने दक्षिण पूर्व एशिया संधि संगठन या SEATO का गठन किया। संगठन का उद्देश्य क्षेत्र में साम्यवाद को पनपने से रोकना था।
6. क्यूबा संकट के समय क्यूबा का राष्ट्रपति कौन था?
- (A) फिदेल कास्त्रो
- (B) जॉन एफ कैनेडी
- (C) खुश्चेव
- (D) इनमें से कोई नहीं
Explanation: विवरण: क्यूबा में पूर्व सोवियत संघ की सैन्य उपस्थिति के बारे में राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के रेडियो और टेलीविज़न संबोधन की ऑडियो रिकॉर्डिंग। अपने भाषण में राष्ट्रपति कैनेडी ने आक्रामक मिसाइल साइटों की स्थापना की रिपोर्ट की, जिसका उद्देश्य संभवतः पश्चिमी देशों के खिलाफ़ परमाणु हमला करना था।
7. सोवियत संघ के नेता नीकिता खुश्चेव ने क्यूबा में किस वर्ष परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी?
- (A) 1960 में
- (B) 1961 में
- (C) 1962 में
- (D) 1963 में
Explanation: सोवियत संघ के नेता नीकिता खुश्चेव ने क्यूबा को रूस के ‘सैनिक अड्डे’ के रूप में बदलने का फैसला किया। 1962 में खुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दीं। इन हथियारों की तैनाती से पहली बार अमरीका नजदीकी निशाने की सीमा में आ गया ।
8. शीत युद्ध की शुरुआत कब से माना जाता है?
- (A) 1945 के बाद से
- (B) 1947 के बाद से
- (C) 1950 के बाद से
- (D) 1952 के बाद से
Explanation:शीत युद्ध (1945-1989) शीत युद्ध संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच एक लंबा संघर्ष था जो हिटलर के जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद शुरू हुआ था। 1941 में, यूएसएसआर के खिलाफ नाजी आक्रमण ने सोवियत शासन को पश्चिमी लोकतंत्रों का सहयोगी बना दिया।
9. कौन-से दो गुटों के बीच शीत युद्ध चला?
- (A) भारत-पाकिस्तान के बीच
- (B) अमेरिका-सोवियत संघ के बीच
- (C) जर्मनी-फ्रांस के बीच
- (D) भारत-चीन के बीच
Explaination:शीत युद्ध संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ और उनके संबंधित सहयोगियों के बीच चल रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता थी जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकसित हुई थी। दो महाशक्तियों के बीच इस शत्रुता को पहली बार 1945 में प्रकाशित एक लेख में जॉर्ज ऑरवेल ने अपना नाम दिया था।
10. उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना कब हुई? [2021ए]
- (A) 15 अगस्त, 1945
- (B) 4 अप्रैल, 1949
- (C) 4 अप्रैल, 1952
- (D) 5 जून, 1960
Explanation:उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), 1949. उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन की स्थापना 1949 में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा सोवियत संघ के विरुद्ध सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी।
11. ‘बारसा संधि’ की स्थापना कब हुई?
- (A) 1950 में
- (B) 1952 में
- (C) 1955 में
- (D) 1957 में
Explanation: वारसॉ संधि संगठन (जिसे वारसॉ संधि के नाम से भी जाना जाता है) 14 मई, 1955 को सोवियत संघ और कई पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच स्थापित एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन था।
12. अमेरिका ने नागासाकी और हिरोशिमा पर बम कब गिराया?
- (A) 1942
- (B) 1947
- (C) 1945
- (D) 1950
Explanation: People also ask 6 अगस्त 1945 में क्या हुआ था? 6 और 9 अगस्त, 1945 को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्रमशः जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर दो परमाणु बम विस्फोट किए। बमबारी में 150,000 से 246,000 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश नागरिक थे, और सशस्त्र संघर्ष में परमाणु हथियारों का यह एकमात्र उपयोग है।
13. किसने कहा कि शान्ति कायरों का सपना है?
- (A) हिटलर
- (C) लेनिन
- (B) मुसोलिनी
- (D) माओ
Explanation:मुसोलिनी जो एक फासीवादी था, ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शांति एक कायरतापूर्ण सपना है। व्याख्या: फासीवाद लोकतंत्र के खिलाफ था। वे बैले के बजाय गोलियों में दृढ़ विश्वास रखते थे।
14. शीत युद्ध का अन्त कब हुआ?
- (A)1991 ई० में
- (B) 1891 ई में
- (C) 2001 ई० में
- (D) 2002 ई में
- (A) वर्ष 1960
- (B) वर्ष 1961
- (C) साल 1962
- (D) वर्ष 1963
Explanation: शीत युद्ध वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) और उनके संबंधित सहयोगियों, पश्चिमी ब्लॉक और पूर्वी ब्लॉक के बीच वैचारिक और आर्थिक प्रभाव के लिए संघर्ष का दौर था, जो द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के दो साल बाद 1947 में शुरू हुआ और 1991 में सोवियत संघ के पतन तक चला।
15. क्यूबा संकट किस वर्ष उत्पन्न हुआ? [2009A]
Explanation: अक्टूबर 1962 का क्यूबा मिसाइल संकट शीत युद्ध के इतिहास में एक निर्णायक क्षण था। कई घटनाओं ने इस संकट को और तीव्र कर दिया।
16. ब्रेजनेव किस देश के राष्ट्रपति थे?
- (A) अमेरिका
- (B) इंग्लैंड
- (C) सोवियत संघ
- (D) चीन
Explanation:लियोनिद इल्यिच ब्रेझनेव [ ख ] [ ग ] (19 दिसम्बर 1906 – 10 नवम्बर 1982) [ 4 ] एक सोवियत राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1964 से 1982 में अपनी मृत्यु तक सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया , और 1960 से 1964 तक तथा पुनः 1977 से 1982 तक सुप्रीम सोवियत (राज्य के प्रमुख) के प्रेसिडियम के अध्यक्ष रहे। महासचिव के रूप में उनका 18 वर्ष का कार्यकाल अवधि में जोसेफ स्टालिन के बाद दूसरे स्थान पर था।
17. शीतयुद्ध के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2010A, 2024A]
- (A) दो महाशक्तियों के बीच विचारों की होड़
- (B) अमेरिका, सोवियतसंघ और उनके मित्र देशों के बीच प्रतिस्पर्द्धा
- (C) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ युद्ध में सम्मिलित
- (D) शस्त्रीकरण की होड़
Explanation: अमेरिका और यूएसएसआर प्रत्यक्ष रूप से युद्धों में शामिल नहीं थे। दोनों ही देश परमाणु हथियारों से होने वाले विनाश को संभालने की स्थिति में नहीं थे इसलिए महान शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता का गहन शांत हो गया
18. निम्नलिखित में से कौन सोवियत संघ के विखण्डन का परिणाम नहीं है?
- (A) सी०आई०एस० का जन्म
- (B) अमेरिका एवं सोवियत संघ के बीच वैचारिक युद्ध की समाप्ति
- (C) शीतयुद्ध की समाप्ति
- (D) मध्य-पूर्व में संकट
Explanation: मध्य पूर्व में संकट सोवियत संघ के विघटन के परिणाम स्वरूप नही उपजा था । बल्कि ये अमेरिका और ईराक व मध्य-पूर्व के अन्य देशों के बीच उपजे तनाव का परिणाम था ।
19. ‘पूर्व बनाम पश्चिम’ का संबंध से आशय किससे है ? [2015A, 2017A]
- (A) विश्व युद्ध से
- (B) शीत युद्ध से
- (C) तनाव शैथिल्य से
- (D) उत्तर-शीत युद्ध दौर से
Explanation: समाजशास्त्र में, पूर्व-पश्चिम द्वंद्व पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के बीच माना जाने वाला अंतर है। भौगोलिक विभाजन के बजाय सांस्कृतिक और धार्मिक, पूर्व और पश्चिम की सीमाएँ निश्चित नहीं हैं, बल्कि इस शब्द का उपयोग करने वाले व्यक्तियों द्वारा अपनाए गए मानदंडों के अनुसार बदलती रहती हैं।
20. तनाव शैथिल्य का दौर कब शुरू हुआ?
- (A) 1945 के बाद
- (B) 1970 के बाद
- (C) 1960 के बाद
- (D) 1980 के बाद
Explanation: 1962 के क्यूबा संकट के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के व्यवहार में आए परितर्वनों को तनावशैथिल्य या ‘दितान्त’ (Détente) का नाम दिया जाता है।
21. हॉट लाइन समझौता कब हुआ था?
- (A) 1963 ई०में
- (B) 1964 ई० में
- (C) 1961 ई० में
- (D) 1965 ई० में
Explanation: 20 जून, 1963 को, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ ने ” प्रत्यक्ष संचार लिंक की स्थापना के संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ के बीच समझौता ज्ञापन ” पर हस्ताक्षर किए, जिसे हॉटलाइन समझौते के रूप में भी जाना जाता है।
22. सोवियत संघ ने कौन-सा सैनिक गुट बनाया?
- (A) नाटो
- (B) सीटो
- (C) सेन्टो
- (D) वारसॉ संधि
Explanation: शीत युद्ध पूर्वी यूरोप में अपने नियंत्रण के अधीन देशों के साथ सोवियत संघ ने एक साम्यवादी सैन्य मित्रपक्ष बनाया, जिसे वारसॉ संधि गुट (Warsaw Pact) के नाम से जाना जाता है।
23. हिटलर कहाँ का निवासी था?
- (A) जर्मनी
- (B) इंग्लैण्ड
- (C) फ्रांस
- (D) इटली
Explanation: नाज़ी पार्टी की लगातार चुनावी जीत के बाद 1933 में एडॉल्फ़ हिटलर को जर्मनी का चांसलर नियुक्त किया गया। अप्रैल 1945 में आत्महत्या करके अपनी मृत्यु तक उन्होंने पूरी तरह से शासन किया। एडोल्फ हिटलर (20 अप्रैल, 1889 – 30 अप्रैल, 1945) को नाज़ी पार्टी द्वारा कई चुनावी जीत के बाद 1933 में जर्मनी का चांसलर नियुक्त किया गया था।
24. तनाव शैथिल्य का दूसरा चरण शुरू करने का श्रेय किसको दिया जाता है?
- (A) अमरीकी राष्ट्रपति रीगन
- (B) भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी
- (C) सोवियत राष्ट्रपति गोर्बाच्योव
- (D) चीनी नेता माओ
Explanation: इस बीच 1985 में सोवियत संघ का नेतृत्त्व ग्रहण करने के पश्चात् न केवल देश को लोकतंत्र व्यवस्था देने के प्रयास आरंभ किए थे, बल्कि शीत युद्ध को समाप्त करने के लिए भी प्रयत्न करने आरंभ किए थे। राष्ट्रपति रीगन और गौर्बाचोव के प्रयासों से नव शीत युद्ध 1988 से, एक बार फिर तेज़ी से तनाव शैथिल्य में परिवर्तित होने लगा था।
25. पाकिस्तान के किस अमरीकी सैनिक गुट में शामिल होने पर नेहरू ने तीखी आलोचना की?
- (A) नाटो
- (B) रियो संधि
- (C) आजंस संधि
- (D) वर्साय की संधि
Explanation: संदर्भ में अमेरिकी सैनिकों के पाकिस्तान में तैनात होने पर तीखी आलोचना की थी। भारत और पाकिस्तान के बीच इस संधि के तहत अमेरिकी सहायता के तहत बैठकें होने की उम्मीद …
26. किस देश ने सबसे पहले समाजवादी राष्ट्रकुल छोड़ा?
- (A) युगोस्लाविया
- (B) पोलैंड
- (C) अल्बानिया
- (D) चीन
Explanation: इतिहास के अनुसार, युगोस्लाविया ने 1948 में समाजवादी राष्ट्रकुल का निष्कासन किया।
27. शीत युद्ध के लिए उत्तरदायी कारण नहीं है-
- (A) दोनों महाशक्तियों में सैद्धान्तिक मतभेद
- (B) दूसरे मोर्चे पर प्रश्न
- (C) युद्धकालीन निर्णयों का अतिक्रमण
- (D) वर्साय की संधि
Explanation: पहला ईएच कैर द्वारा विशेष रूप से तर्क दिया गया सोवियत समर्थक खाता है, जिसका मानना था कि सोवियत साम्यवाद दुनिया में प्रमुख प्रगतिशील शक्ति थी, अमेरिका इसकी प्रगति के लिए मुख्य बाधा था और परिणामस्वरूप, पहले यूरोप में और फिर दुनिया भर में अमेरिकी आक्रामकता और विस्तारवाद को शीत युद्ध के लिए दोषी ठहराया गया।
28. सन् 1953 ई० में अमेरिकी राष्ट्रपति कौन बना?
- (A) टुमेन
- (B) आईजनहोवर
- (C) खुश्चेव
- (D) बुल्गानिन
Explanation: अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग में भी इन्होंने काफी काम किया। 1953 में पेश किए गए नर्श डे के प्रस्ताव को भी इन्होंने पास किया था। आइज़नहावर ने 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में घोषित किया।[1]
29. राष्ट्रपति रीगन ने किसको दुष्ट साम्राज्य कहा?
- (A) सोवियत संघ को
- (B) चीन को
- (C) हॉलैंड को
- (D) इनमें से कोई नहीं
Explanation: ” दुष्ट साम्राज्य ” भाषण अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा 8 मार्च, 1983 को नेशनल एसोसिएशन ऑफ इवेंजेलिकल्स को दिया गया भाषण था, जो शीत युद्ध और सोवियत-अफगान युद्ध के चरम पर था। उस भाषण में, रीगन ने सोवियत संघ को एक “दुष्ट साम्राज्य” और “आधुनिक दुनिया में बुराई का केंद्र” बताया था।
30. निम्नलिखित में कौन सत्य है?
- (A) गोर्बाच्योव ने ‘ग्लासनोस्ट’ और ‘प्रेस्त्रोएका’ का विचार किया।
- (B) तालिबान व्यवस्था बांग्लादेश में 1996 से 2001 तक स्थापित रहा।
- (C) नाटो एक सैन्य संगठन था जिसकी स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा की गई थी।
- (D) दक्षिण एशिया के सभी देश लोकतान्त्रिक हैं।
Explanation: महासचिव और राष्ट्रपति दोनों के रूप में, गोर्बाचेव ने लोकतांत्रिक सुधारों का समर्थन किया। उन्होंने ग्लासनोस्ट (“खुलेपन”) और पेरेस्त्रोइका (“पुनर्गठन”) की नीतियों को लागू किया, और उन्होंने पूर्वी यूरोप में निरस्त्रीकरण और विसैन्यीकरण के लिए जोर दिया। गोर्बाचेव की नीतियों के कारण अंततः 1990-91 में सोवियत संघ का पतन हुआ ।
31. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य है?
- (A) भारतीय स्वतन्त्रता के समय विश्व के दो शक्तिशाली गुटों में प्रभुत्व क्षेत्र के फैलाव को लेकर रस्साकशी थी।
- (B) पश्चिमी गुट का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका और साम्यवादी गुट का नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था।
- (C) इन दोनों गुटों की आपसी खींचतान से विश्व में शीतयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
- (D) इनमें से सभी।
Explanation: Becuase all sentense are correct
32. सोवियत व्यवस्था के निर्माताओं ने निम्नलिखित में से किसको महत्त्व नहीं दिया?
- (A) निजी सम्पति की समाप्ति
- (B) समानता के सिद्धांत पर समाज का निर्माण
- (C) विरोधी दल अथवा प्रतिपक्ष का कोई स्थान नहीं
- (D) अर्थव्यवस्था पर राज्य का कोई नियन्त्रण नहीं ?
Explanation: सोवियत व्यवस्था के निर्माताओं ने निम्नलिखित में से किस को महत्व नहीं दियाविरोधी दल अथवा प्रतिपक्ष का कोई स्थान नहीं अर्थव्यवस्था पर राज्य का कोई नियंत्रण नहीं होगा समानता के सिद्धांत पर समाज का निर्माण निजी संपत्ति की समाप्ति
33 . सेन्टों की स्थापना किस वर्ष हुई थी
- (A) 1956 ई० में
- (B) 1955 ई० में
- (C) 1957 ई० में
- (D) 1954 ई० में
Explanation:बगदाद संधि (1955) और केंद्रीय संधि संगठन (CENTO) बगदाद संधि साझा राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए एक रक्षात्मक संगठन था जिसकी स्थापना 1955 में तुर्की, इराक, ग्रेट ब्रिटेन, पाकिस्तान और ईरान द्वारा की गई थी।
अतिलघुतरीय प्रश्न
Q.1. गुट-निरक्षेप आन्दोलन क्या है? भारत ने गुट-निरपेक्षता की नीति क्यों अपनाई ?(2012, 2010)Or. गुटनिरपेक्षता सम्वन्धी भारतीय नीति क्या है? (2015, 2018, 2019)
Ans. प्रारम्भ में गुट-निरपेक्षता की नीति भारत की विदेश नीति का सार था। शीघ्र ही अनेक अन्य देश भी इस नीति को अपनाने के लिए तैयार हो गए। देखते ही देखते गुट निरपेक्ष नीति ने एक आन्दोलन का रूप धारण कर लिया। नेहरू, नासिर तथा टीटो के प्रयास से गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का आरम्भ उस समय हुआ जब 1961 में 25 देशों का पहला गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन बेलग्रेड में हुआ। अब तक इसमें 116 देश शामिल हो चुके हैं। गुट-निरपेक्ष आंदोलन में नेहरू जी का स्थान सर्वोपरि रहा था। उन्होंने निरस्त्रीकरण का समर्थन और साम्राज्यवाद का विरोध किया। गुटनिरपेक्ष देशों का सम्मेलन समय-समय पर किसी सदस्य देश में होता रहता हैं। 1980 में भारत ‘अफ्रीका कोष’ का अध्यक्ष बना। जकार्ता सम्मेलन 1992 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पुनर्गठन का. मामला उठाय। 11वाँ सम्मेलन काटिर्जेन्स में 1995 में सम्पन्न हुआ। कर्टिजेन्स घोषणा में आंतकवाद को निन्दनीय बताया गया, और कहा गया कि हर प्रकार के आंतकवाद का विरोध होना चाहिए।भारत ने अन्य देशों की सहायता से गुट-निरपेक्ष आंदोलन को अस्तित्व प्रदान किया। भारत आंरभ से ही इस आंदोलन का समर्थक रहा हैं। इस आंदोलन का महत्त्व निम्नलिखित दृष्टियो से है: उपनिवेशवाद को समाप्त करने में, बड़े-बड़े देशों में समझौता कराना, विश्व को विकास की ओर अग्रसर करना, निःशस्त्रवीकारण लागू करना एवं शांति स्थापित करना, • अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करता।
Q.2 . शीतयुद्ध क्या है? (2016, 2015, 2014, 2013, 2012) Or, शीत युद्ध (Cold War) के अर्थ एवं प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।(2020)
Ans. शीत-युद्ध से हमारा अभिप्राय ऐसी अवस्था से है जब दो या दो से अधिक देशों के बीच वातावरण उत्तेजित व तनावपूर्ण हो किन्तु वास्तविक रूप में कोई युद्ध न हो। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ अमरीका के बाद. दूसरी बड़ी ताकत बनकर उभरा। इन दोनों देशों के बीच टकराव व तनावपूर्ण स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता हैं।परस्पर विरोधी गुटों में शामिल देशों ने यह समझ लिया था कि आपसी युद्ध में जोखिम है क्योंकि युद्ध की सूरत में दोनों पक्षों को इतना नुकसान उठाना पड़ेगा कि उनमें से विजेता कौन है-यह तय करना भी असम्भव होगा। अगर अपने शत्रु पर आक्रमण करके उसके परमाणु हथियारों को नाकाम करने की कोशिश करता है तब भी दूसरे के पास उसे बर्बाद करने लायक हथियार बच जाएँगे। इसलिए तीसरा विश्वयुद्ध न होकर शीत युद्ध की स्थिति विश्व में बनी रही।
Q.3. गुटनिरपेक्षता से आप क्या समझते है?(2015, 2018) Or, गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के दो उद्देश्य लिखें।(2024)
Ans. सैन्य गुटों से पृथक रहना। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व दो महाशक्तियों के बीच बँट गया। नव-स्वतंत्र देशों ने यह निर्णय लिया कि वे किसी भी गुट में शामिल नहीं होगे। इसे एक आंदोलन का रूप दिया गया। भारत द्वारा गुटनिरपेक्ष नीति कोलागू करने व अपनाने के तीन निम्न कारण है-
Q.4. नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? (2012)
Ans. नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से अभिप्राय है विकासशील देशों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना, साधनों को विकसित देशों से विकासशील देशों में भेजना, वस्तुओं सम्बन्धी समझौते करना तथा पुरानी परम्परावादी उपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के स्थान पर निर्धन तथा वंचित देशों के साथ न्याय करना। नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था राष्ट्रों के लिए एक आचार- संहिता बना कर तथा कम विकसित राष्ट्रों के उचित अधिकारों को मानकर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को सबके लिए समान तथा न्यायपूर्ण बनाना है।
Q.5. तनाव शैथिल्य देतान्त (Detente)) से आप क्या समझते है? (2016)
Ans. ‘देतान्त’ एक फ्राँसीसी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, शिथिलता अथवा तनाव शैथिल्य अर्थात् जिन राज्यों में पहले तनावयुक्त स्पर्द्धा, ईर्ष्या तथा विरोध के सम्बन्ध रहे हों, उनमें इस प्रकार के सम्बन्धों के स्थान पर मित्रतापूर्वक सम्बन्धों का स्थापित हो जाना। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में देतान्त शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से दो महान् शक्तियों रूस तथा अमरीका के संदर्भ में किया जाता है।
Q.6. नाटो (NATO) पर एक टिप्पणी लिखिए। (2014)
Ans. पश्चिमी गठबंधन ने स्वयं को एक संगठन का रूप दिया। अप्रैल, 1949 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना हुई जिसमें 12 देश शमिल थे। इस संगठन ने घोषणा की कि उत्तरी अमरीका अथवा यूरोप इन देशों में से किसी एक पर भी हमला होता है तो उसे ‘संगठन’ में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेगें। ‘नाटो’ में शामिल हर देश एक-दूसरे की मदद करेगा।
Q.7. वारसा संधि (Warsaw Pact) पर टिप्पणी लिखें।
Ans. सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप के अपने गुट के सदस्य राज्यों को सुरक्षा प्रदान करने तथा उन पर अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए नाटो के जवाब में 1955 में वारसा सन्धि का निर्माण किया। इसका उद्देश्य था नाटो में शामिल देशों का यूरोप में मुकाबला करना। इसमें सोवियत संघ के अतिरिक्त पौलैंड, पूर्वी जर्मनी, रोमानिया, बुलगारिया, चेकोस्लावाकिया आदि देश जो सोवियत गुट के थे, सम्मिलित थे।
Q.8. परमाणु अप्रसार संधि (NPT) क्या है? (2023)
Ans. यह संधि केवल परमाणु शक्ति-सम्पन्न देशों को एटमी हथियार रखने की अनुमति देती है और बाकी देशों को ऐसे हथियार हासिल करने से रोकती है। परमाणु अप्रसार संधि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उन देशों को परमाणु-शक्ति से सम्पन्न देश माना गया जिन्होंने 1 जनवरी, 1967 से पहले किसी परमाणु हथियार अथवा अन्य परमाणु सामग्रियों का निर्माण और विस्फोट किया हो। इस परिभाषा के अंतर्गत पाँच देशों- अमरीका, सोवियत संघ (बाद में रूस), ब्रिटेन, फ्राँस और चीन को परमाणु-शक्ति से सम्पन्न माना गया। इस संधि पर । जुलाई, 1968 को वाशिंगटन, लंदन और मास्को में हस्ताक्षर हुए और संधि 5 मार्च, 1970 से प्रभावी हुई। इस संधि को 1995 में अनियत काल के लिए बढ़ा दिया गया।
Q.9. बांडुंग सम्मेलन (1955) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans. अप्रैल, 1955 में बांडुंग स्थान में एशिया और अफ्रीकी राष्ट्रों का एक सम्मेलन हुआ जिसमें 29 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में उपस्थित सभी देशों ने पंचशील के सिद्धांतों को स्वीकार करने के साथ-साथ इनका विस्तार भी किया, अर्थात् पाँच सिद्धांत की स्थापना की गई। इस सम्मेलन में एशियाई तथा अफ्रीकी देशों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया तथा महान् शक्तियों का अनावश्यक अनुसरण न करने पर बल दिया। इस सम्मेलन में सभी राज्यों की पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्नता और राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करने, किसी राज्य पर सैनिक आक्रमण न करने तथा किसी राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर बल दिया गया। राज्य पर सैनिक आक्रमणं न करने तथा किसी राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर बल दिया गया।
Q.10. तीसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं?(2016)
Ans. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संसार दो गुटों में विभाजित हो गया। अमेरिकी गुट में सम्मिलित देशों को मिलाकर पहली दुनिया बनी। सोवियत गुट में सम्मिलित देशों को दूसरी दुनिया के नाम से पुकारा गया। इसके अतिरिक्त संसार की लगभग तीन-चौथाई जनसंख्या एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों को तीसरी दुनिया के रूप में जाना जाता है। तीसरी दुनिया के लगभग 48 प्रतिशत व्यस्क निरक्षर हैं तथा निर्धन है।तीसरी दुनिया के देशों में स्वतंत्रता के साथ राष्ट्रीय चेतना भी उत्पन्न हुई। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन ने तीसरी दुनिया के इन नव स्वतंत्र तथा नव निर्मित राज्यों को अपनी ओर आकर्षित किया और इन्होंने भी यह महसूस किया कि किसी एक अमीर तथा सम्पन्न गुट में मिलने से अच्छा है गुट-निरपेक्ष रहकर स्वतंत्रता तथा स्वाभिमान के साथ रहना। अब तो विकासशील देश संयुक्त राष्ट्र संघ में भी समानता के सिद्धान्त को लागू करने की बात करने लगे हैं।
Q.11. ग्लासनोस्त एवं पेरेस्त्रोइका से आप क्या समझते हैं?(2016, 2013, 2011)
Ans. पेरेस्त्रोइका एक रूसी शब्द है जिसका अर्थ है पुनर्रचना (Reconstruction) कीओर ध्यान देना। सोवियत संघ के अन्तिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचेव (1981-1991) के समय में सोवियत संघ के विघटन को गति प्राप्त हुई। गोर्वाचेव ने देश के अन्दर आर्थिक-राजनीतिक सुधारों की नीति चलायी, जिसे पेरेस्त्रोइका कहा जाता है और आर्थिक खुलेपन की नीति कोग्लासनोस्त कहा गया।
Q.12. सोवियत प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
Ans. सोवियत प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :घरेलू स्तर पर बहुदलीय प्रणाली का अभाव तथा एक मात्र दल (साम्यवादी) का अस्तित्व।• • सोवियत प्रणाली प्रत्येक क्षेत्र में साम्यवादी विचारधारा पर आधारित थी।• अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पूँजीवादी देशों का विरोध तथा साम्यवाद के फैलाव व प्रभुत्व कीनीति अपनाया जाना।
Q.13 . शॉक थेरेपी क्या थी?
Ans. साम्यवाद के पतन के बाद पूर्व सोवियत संघ के गणराज्य एक सत्तावादी, समाजवादी व्यवस्था से लोकतांत्रिक पूँजीवादी व्यवस्था तक के कष्टप्रद संक्रमण से होकर गुजरे। रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में पूँजीवाद की ओर संक्रमण का एक खास माँडल अपनाया गया। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को ‘शॉक थेरेपी’ (आघात पहुँचाकर उपचार करना) कहा गया। भूतपूर्व ‘दूसरी दुनिया’ के देशों में शॉक थेरेपी की गति और गहनता अलग-अलग रहीं, लेकिन दिशा और चरित्र बड़ी सीमा तक एक जैसे थे। यह साम्यवाद से पूँजीवाद की ओर संक्रमण का तरीका था।
Q.14. बर्लिन-दीवार पर टिप्पणी लिखें।
Ans. शीत युद्ध के सबसे सरगर्म दौर में बर्लिन-दीवार (1961 ई० में) खड़ी की गई थी और यह दीवार शीत युद्ध का सबसे बड़ा प्रतीक थी। 1989 में पूर्वी जर्मनी की आम जनता ने इस दीवार को गिरा दिया। इस नाटकीय घटना के बाद और भी नाटकीय तथा ऐतिहासिक घटनाक्रम सामने आया। इसकी परिणमि दूसरी दुनिया के पतन और शीत युद्ध की समाप्ति में हुई। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद विभाजित हो चुके जर्मनी का अब एकीकरण हो गया।
दीर्घ उत्तरीय प्रशन
Q.1. शीतयुद्ध का अर्थ एवं इसके उदय के कारण बताइए। (2023, 2015)
Ans. 1945 में दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया तत्पश्चात् एक विचित्र स्थिति पैदा हो गई जिसे शीतयुद्ध का नाम दिया। यह स्थिति दो महाशक्तियों (संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ) के बीच बढ़ते हुए तनावपूर्ण सम्बन्धों की परिचायक थी। धीरे-धीरे शीतयुद्ध की लपेट में पश्चिमी एशिया व अफ्रीका के देश भी आ गए। 1953 के बाद इस त्रासदीपूर्ण स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ। दोनों महाशक्तियाँ एक-दूसरे के निकट आने लगी। परस्पर वार्तालाप व सहयोग के लक्षण प्रकट होने लगे जिन्हें तनाव-शैथिल्य की संज्ञा दी गई। विश्व दो-ध्रुवीयता से बहुधुवीयता की ओर बढ़ने लगा। 1991 में सोवियत संघ के विखण्डन के साथ शीतयुद्ध व तनाव-शैथिल्य दोनों का अन्त हो गया। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में शीत युद्ध ने निम्न तीन विशेष प्रवृत्तियों को उजागर किया-
- दोनों महाशक्तियाँ तनावपूर्ण सम्बन्धों को गहरा करने पर उतारू थीं लेकिन प्रत्यक्ष भिड़न्त की स्थिति को टालने हेतु उतनी ही सावधान भी थीं। छोटे-मोटे संघर्ष चलते रहने चाहिए किन्तु ऐसी स्थिति न आने दी जाए कि तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ जाए जो दोनों के विनाश को सुनिश्चित करे।
- यह सशस्त्र संघर्ष की स्थिति नहीं थी किन्तु दोनों पक्ष कूटनीतिक संग्राम में लगे रहे, ताकि अपने विरोध को यथासम्भव चोट या हानि पहुँचाकर अपना पक्ष सबल कर सकें तथा विश्व पर मात्र उनका ही वर्चस्व स्थापित हो सके।
- अपने आग्रहों को प्रबलित करने के लिए दोनों महाशक्तियों ने विचारधारा का आह्वान किया, जबकि अमेरिका ने उदारवाद की दुहाई देकर अपने प्रतिद्वन्दी को सर्वाधिकारवादी, प्राधिकारवादी तथा अधिनायकवादी कहकर निन्दित किया तो सोवियत संघ ने समाजवाद की दुहाई देकर अपने प्रतिद्वन्दी को साम्राज्यवादी, उपनिवेशवादी या नव-उपनिवेशवादी कहकर वही काम किया।
यही कारण है कि 1960-70 के दशक में प्रति युद्ध की कमी ने तनाव-शैथिल्य की स्थिति को जगह दी। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में बदलाव आ गया। जो हालात पिछले दशक में थे, इस दशक की हालत उससे काफी भिन्न हो गई। यह क्रम चलता रहा कि आगामी दशकों में शीतयुद्ध का निरन्तर कटाव अन्ततः उसके अन्त का कारण बन गया।
Q.2. गुट-निरपेक्ष आंदोलन (NAM) पर एक निबंध लिखिये। इसकी दो विशेषताएँ लिखें। Or गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के आरम्भ, लक्ष्य एवं उपलब्धियों की विवेचना करें। (2023, 2019, 2016, 2014)
Ans. गुट-निरपेक्ष आंदोलन का आंरभ गुट-निरपेक्षता आरंभ में मात्रा भारत की विदेशी नीति का सार थी। शीघ्र ही अनेक अन्य देश भी इस नीति को अपनाने के लिए तैयार हो गए। देखते-ही-देखते, गुट-निरपेक्ष नीति ने एक आंदोलन का रूप धारण कर लिया। नेहरू ने नासिर तथा टीटो के प्रयासों से गुट-निरपेक्ष आंदोलन का शुभ आरंभ उस समय हुआ जब 1961 में 25 देशों का पहला गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन बेलग्रेड में हुआ। 1986 में हरारे (जिम्बाब्वे) में 8वाँ गुट-निरपेक्ष सम्मेलन हुआ जिसमें संसार के लगभग दो-तिहाई देशों ने भाग लिया।
गुट-निरपेक्ष सम्मेलन के केन्द्र
- प्रथम बेलग्रेड (1961),
- द्वितीय काहिरा (1964),
- तृतीय लुसाका (1970),
- चौथा अल्जीरिया (1973),
- पाँचवा कोलम्बो (1976),
- छठा हवाना (1979),
- सातवाँ नई दिल्ली (1983),
- आठवाँ हरारे (1986),
- नवा बेलग्रेड (1989),
- दसवाँ जकार्ता (1992),
- ग्यारहवाँ कार्टजेन (1995),
- चौदहवाँ हवाना (क्यूबा) (2006)।
- निरपेक्ष आंदोलन की सफलताएँ तथा उद्देश्य:
- आरंभ से ही गुट-निरपेक्ष आंदोलन जातीय भेदभाव का विरोध करता आया है। यह आंदोलन दक्षिणी ही गुट निरपेक्ष आदोलन व राजनीतिक कार्यवाही करने का पक्ष ले रहा है।
- गुट-निरपेक्ष आंदोलन विश्व शांति व सुरक्षा की कामना करता है। यही कारण है कि इस आंदोलन ने सदा संयुक्त राष्ट्र संघ को मजबूत करने का पक्ष लिया हैं। यह आंदोलन भिन्न राष्ट्रों में सहयोग पर बल देता है।
- गुट-निरपेक्ष आंदोलन तीसरे विश्व का एक समूह हैं। यह उन देशों का समूह है जो गरीब व पिछड़े हुए देश हो और जो आधुनिकीकरण चाहते हों। गुट-निरपेक्ष आंदोलन एक नए अन्तर्राष्ट्रीय विश्व की स्थापना करना चाहता है जिसमें उत्तरी गोलार्द्ध के देश दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों की आर्थिक सहायता करेंगे तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में रहने वाले देशों में आर्थिक सहयोग होगा।
- गुट-निरपेक्ष आंदोलन विश्व में देशों के बीच तनावों को दूर करना चाहता था। यही कारण है कि गुट-निरपेक्ष देश यह नहीं चाहते कि कोई शक्ति भले ही वह अमेरीका हो या सोवियत संघकिसी अन्य देश पर अपना कोई सैनिक अड्डा बनाए।
Q.3 . गुट निरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका का परीक्षण कीजिए। (2011) Or, शीतयुद्ध के दौरान भारत की अमरीका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी ?
Ans. भारत की गुट निरपेक्षता की विदेश नीति (India’s Foreign Policy of Non-Alignment): भारत ने आरंभ से ही गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनी विदेश नीति का एक आधारभूत तत्व माना और संयुक्त राज्य अमरीका तथा सोवियत संघ दोनों के साथ ही मित्रता के सम्बन्ध बनाए रखने की नीति अपनायी। भारत दोनों में से किसी भी सैनिक गठबंधन में सम्मिलित नहीं हुआ। भारत ने मुद्दों के आधार पर दोनों की गतिविधियों की प्रशंसा या आलोचना की, किसी गुटबंदी या पक्षपात के आधार पर नहीं। यह दोनों का अपना मित्र समझता था। भारत केहितों की प्राप्ति में सहायता दोनों देशों से मित्रता की विदेश नीति या गुट-निरपेक्षता की नीति की बड़ी आलोचना हुई। कुछ ने इसे तटस्थता की नीति कहा तो कुछ ने अवसरवादी नीति कहा क्योंकि भारत मुद्दों पर आधारित दोनों शक्तियों की आलोचना भी करता था और प्रशंसा भी। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान अमरीका गुट का पक्का सदस्य था, अतः अमरीका ने हर मामले पर विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया। इस नीति से आरंभ में कुछ हानियाँ भी हुई परन्तु अन्त में यह नीति भारत के लिए उसके हितों की प्राप्ति में बड़ी सहायक सिद्ध हुई। निम्नलिखित तथ्य इस बात की पुष्टि करते है-
- स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक दशा बड़ी शोचनीयथी और उसे गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी, अस्त-व्यस्त अर्थव्यवस्था, भुखमरी, कृषि का पिछड़ा- पन, उद्योगों की कमी आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इस समय उसकी प्राथमिकता अपने सामाजिक विकास की थी। इस कार्य में इस नीति ने बड़ी सहायता की।
- भारत अपनी नीति का निर्माण तथा संचालन स्वतंत्रतापूर्वक बिना किसी बाह्य दबाव से करना चाहता था। इस उद्देश्य की प्राप्ति किसी सैनिक गटबंधन में सम्मिलित हुए बिना ही हो सकती थी। यदि किसी गुट में सम्मिलित होता तो उसे उसका पिछलग्गु बनना पड़ता और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में स्वतंत्र निर्णय नहीं कर पाता।
- भारत दोनों शक्तियों से मैत्री सम्बन्ध रखने के कारण दोनों ही देशों से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सका और अपने सामाजिक आर्थिक विकास की ओर ध्यान दे सका।
- दोनों महाशक्तियों से मित्रता होने के कारण उसे शीतयुद्ध के कारण किसी की शक्ति संगठन से या उसके किसी सदस्य से किसी शत्रुता तथा आक्रमण की चिंता न रही। युद्ध के भंय की चिता से मुक्त होकर वह सामाजिक-आर्थिक विकास की ओर अधिक ध्यान दे सका।
- गुट-निरपेक्ष की नीति के कारण भारत दोनों ही गुटों के द्वारा सद्भावना की दृष्टि के द्वारा देखा जाने लगा और इसने कई देशों के आपसी विवादों में मध्यस्था की भूमिका निभाई। भारत एक महान देश है और इसमें नेतृत्व की क्षमता भी हैं। दोनों से अलग रहकर ही वह इस प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकता था। उसने गुट-निरपेक्ष आंदोलन की स्थापना तथा विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। आज भारत की गुट-निरपेक्ष देशों में सम्मानजनक स्थिति है और उसके संस्थापकों तथा नेताओं में से एक हैं।
Q.4. सोवियत संघ के विघटन का विश्व राजनीति पर पड़े परिणामों का परीक्षण करें। Or, सोवियत संघ के विघटन के परिणामों को लिखें। (2016, 2015)
Ans. सोवियत संघ के विघटन के परिणाम : सोवियत संघ के विघटन के कई परिणाम सामने आए और इस घटना ने विश्व की राजनीति का माहौल ही बदल दिया। इस घटना के मुख्य परिणाम निम्नलिखित है-
- शीतयुद्ध की समाप्ति : सोवियत संघ की समाप्ति का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण परिणाम शीत युद्ध की समाप्ति था। इस घटना ने दो महाशक्तियों के बीच चले लंबे संघर्ष और भय, असुरक्षा, आतंक तथा तनाव के वातावरण को समाप्त किया। अब संयुक्त राज्य अमरीका ही एक महाशक्ति के रूप में विश्व की राजनीति में भूमिका निभाने लगा। शीतयुद्ध के वातावरण की समाप्ति से सारे संसार ने चैन की साँस ली।
- विश्व राजनीति में नए समीकरण : सोवियत संघ के विघटन और शीत युद्ध की समाप्ति के कारण विश्व की राजनीति में पुराने संबंधों में शिथिलता आने लगी। अमरीका ने आरम्भ से ही भारत के मुकाबले पाकिस्तान की ओर अपना अधिक झुकाव रखा क्योंकि शीत युद्ध के वातावरण में उसे पाकिस्तान की अधिक आवश्यकता थी। उसे भारत से ऐसी आशा नहीं थी। परन्तु शीत युद्ध के बाद भारत का उसके प्रति रूख बदला और उसने भारत के साथ संबंधों को अधिक गूढ़ बनाना आरंभ किया। आज (2007) अमरीका के साथ भारत के संबंध पाकिस्तान की अपेक्षा अधिक गूढ़ हैं।
- लोकतांत्रिक प्रणाली तथा बाजार अर्थव्यवस्था की श्रेष्ठता: सोवियत संघ का विघटन, जो मुख्य रूप से उसकी अर्थव्यवस्था की कमजोरी तथा निष्फलता के कारण हुआ था। आज समाजवादी देशों में भी बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था को ही उचित माना जाने लगा है। भारत ने भी 1990 के बाद अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कदम उठाए और उसमें खुलेपन, निजीकरण व स्वतंत्र व्यापार तथा स्पर्धा के तत्वों को महत्त्व दिया। आज चीन में भी जो कि समाजवादी शासन व्यवस्था तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपनाए हुए है, उदारीकरण के तत्वों को सम्मिलित देखा जा सकता हैं।
- नए स्वतंत्र राज्यों का उदय : सोवियत संघ के विघटन के बाद बहुत से नए स्वतंत्र राज्यों का उदय हुआ। सोवियत संघ की सभी इकाइयाँ जो स्वायत्त गणराज्य कहे जाते थे और एक प्रकार से संघीय व्यवस्था में इकाइयों की स्थिति प्राप्त थे, स्वतंत्र राज्य बने। उन्होंने अपनी नई स्वतंत्र पहचान बनाई और नई विचारधारा को भी अपनाया। कुछ देशों ने नाटो का सदस्य बनने की इच्छा प्रकट की, कुछ यूरोपियन संघ में सम्मिलित होने को उत्सुक हुए
Leave a Reply