कर्मवीर कथा sanskrit Class 10th

कर्मवीर कथा sanskrit  Class 10th ! Karveer katha sanskrit class 10th 

पाठेऽस्मिन् समाजे दलितस्य ग्रामवासिनः पुरुषस्य कथा वर्तते। कर्मवीरः असौ निजोत्साहेन विद्यां प्राप्य महत्पदं लभते, समाजे च सर्वत्र सत्कृतो भवति। कथायां मूल्यं  बर्तते यत् निराशो न स्यात्, उत्साहेन सर्वं कर्तुं प्रभवेत्। )

(इस पाठ में समाज के एक दलित ग्रामवासी पुरुष की कथा है।कर्मवीर वः व्यक्ति अपने उत्साह के कारण विद्या प्राप्त कर बड़ा पद प्राप्त करता है और समाज में सर्वत्र सम्मानित होता है। कथा का संदेश यह है कि निराश नहीं उत्साह के द्वारा सबकुछ सम्भव है।)

1. अस्ति बिहारराज्यस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे ‘भीखनटोला’ नाम ग्राम:। निवसन्ति स्म तत्रातिनिर्धनाः शिक्षाविहीना:  क्लिष्टजीवनाः जनाः। तेष्वेवान्यतमस्य जनस्य परिवारों ग्रामाद् बहिः स्थितायां कुट्यां न्यवसत्। कुटी तु जीर्णप्रायत्वान एरिष्वाम जनान् आतपमात्राद् रक्षति, न वृष्टे:। परिवारे स्वयं गृहस्वामी तस्य भार्तु तयोरेकः  पुत्रः कनीयसी दुहिता चेत्यासन्।

हिन्दी अनुवाद : बिहार राज्य के अति दुर्गम भाग में भीखनटोला नामक एक गाँव है। वहाँ अत्यन्त निर्धन, शिक्षा विहीन, कठिनाई से जीवन जीने वाले लोग रहते थे। उनमें हो एक आदमी का परिवार गाँव से बाहर स्थित झोंपड़ी में रहता था। झापड़ी भी लगभग जर्जर होने के कारण केवल धुप से रक्षा करती थी, वर्षा से नहीं। परिवार में स्वयं गृहस्वामी, उसकी पत्नी, उनका एक पुत्र तथा उनकी एक छोटी बटी थी ।

2. तस्माद् ग्रामात् क्रोशमात्रदूरं प्राथमिको विद्यालयः प्रशासनेन संस्थापितः। तत्रैको नवीनदृष्टिसम्पन्नः सामाजिकसामरस्यरसिकः शिक्षक: समागतः । भीखनटोलां द्रष्टुमागतः स कदाचित् खेलनरतं दलितबालकं विलोक्य तस्यापातरमणीयेन स्वभावेनाभिभूतः। शिक्षकं बालकमेनं स्वविद्यालयमानीय स्वयं शिक्षितुमारभत्। बालकोऽपि तस्य शिक्षणशैल्याकृष्ट:ः शिक्षाकर्म जीवनस्य परमा गतिरिति मन्यमानो निरन्तरमध्यवसायेन विद्याधिगमाय निरतोऽभवत्। क्रमशः उच्चविद्यालयं गतस्तस्यैव शिक्षकस्याध्यापनेन स्वाध्यवसायेन च प्राथम्यं प्राप। ‘छात्राणामध्ययनं तपः ‘ इति भूयोभूयः स्वविद्यागुरुणोपदिष्टोऽसौ बालकः पित्रोर्थाभावेऽपि छात्रवृत्त्या कनीयश्छात्राणां शिक्षणलब्धेन धनेन च नगरगते महाविद्यालये प्रवेशमलभत्।

हिन्दी अनुवाद : उस गाँव से मात्र एक कोस दूर एक प्राथमिक विद्यालय प्रशासन के द्वारा स्थापित हुआ था। वहाँ एक नवीन दृष्टि से युक्त तथा सामजिक समरसता के पक्षपाती शिक्षक आये। कभी भीखनटोला को देखने आये वह शिक्षक खेल में रत एक दलित बालक को देखकर उसके सहज आकर्षक स्वभाव से प्रभावित हो गये। वह शिक्षक इस बालक को अपने विद्यालय लाकर स्वयं शिक्षा देना आरम्भ किये वह बालक भी उनकी शिक्षण शैली से आकृष्ट होकर शिक्षा प्राप्त करना जीवन का परम लक्ष्य मानकर लगातार परिश्रम से विद्या प्राप्त करने में तल्लीन हो गया। क्रमशः उच्च विद्यालय में जाकर उसी शिक्षक के अध्यापन तथा अपने परिश्रम से उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया। अपने शिक्षा गुरु का बार-बार यह उपदेश प्राप्त कर कि ‘छात्रों का तप अध्ययन ही है’ वह बालक पिता के धन की कमी में भी छात्रवृति से तथा कनीय (जूनियर) छात्रों को पढ़ाकर प्राप्त धन से नगर जाकर महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त किया।

3. तत्रापि गुरूणां प्रियः सन् सततं पुस्तकालये स्ववर्गे च सावहितचेतसा अकृतकालक्षेप: स्वाध्यायनिरतोऽभूत् । महाविद्यालयस्य पुसतकागारे बहूनां विषयाणां पुस्तकानि आत्मसादसौ कृतवान् । तत्र स्नातकपरीक्षायां विश्वविद्यालये फरथानस्थावाप्य स्वमहाविद्यालयस्य ख्यातिमवर्धयत्। सर्वत्र रामप्रवेशराम इति शब्द यते विश्वविद्यालयपरिसरे च। नाजानतां पितरावस्य विद्याजन्यां प्रतिष्ठम् । 

हिन्दी अनुवाद : वहाँ भी (महाविद्यालय में भी) शिक्षकों का प्रिय होकर लगातार अपने वर्ग में तथा पुस्तकालय में बिना समय नष्ट किये वह स्वाध्याय में सावधान मन से तल्लीन रहने लगा। महाविद्यालय के पुस्तक भंडार से बहुत विषयों की पुस्तकों को उसने आत्मसात् कर लिया। वहाँ स्नातक की परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त कर उसने अपने महाविद्यालय की ख्याति को बढ़ाया। नगर में और विश्वद्यालय परिसर में ‘रामप्रवेश राम’ यह शब्द सुना जाने लगा। नहीं जानते हुए भी इसके माता-पिता-ने विद्याजनित प्रतिष्ठा प्राप्त की।

4. वर्षान्तरेऽसौ केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायामपि स्वाध्यवसायेन व्यापकविषयज्ञानेन च उन्नतं स्थानमवाप। साक्षात्कारे चं समितिसदस्यास्तस्य व्यापकेन ज्ञानेन जादशे परिवारपरिवेशे कृतेन श्रमेणाभ्यासेन च परं प्रीताः अभूवन्।

हिन्दी अनुवाद : वर्ष बिते-बितते केन्द्रीय लोक सेवा परीक्षा में भी अपने अरिश्रम और विषयों के व्यापक ज्ञान के कारण उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
साक्षात्कार में समिति के सदस्य उसके विस्तृत ज्ञान तथा वैसे पारिवारिक परिवेश का होकर भी उसके परिश्रम तथा अभ्यास से अत्यन्त प्रसन्न हुए।

5. अद्य रामप्रवेशरामस्य प्रतिष्ठा स्वप्रान्ते केन्द्रप्रशासने च प्रभूता वर्तते। तस्य प्रशासनक्षमतां संकटकाले च निर्णयस्य सामर्थ्यं सर्वेषामावर्जके वर्तेते। नूनमसौ कर्मवीरो व्यतीत्य बाधाः प्रशासनकेन्द्रे लोकप्रियः संजातः । सत्यमुक्तम् – उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः।

हिन्दी अनुवाद : वर्तमान समय में रामप्रवेश राम की प्रतिष्ठा अपने प्रान्त के केन्द्रीय प्रशासन में बहुत अधिक है। उनकी प्रशासन क्षमता तथा संकट के समय उनकी निर्णय करने की योग्यता सबको आकर्षित करती है। निश्चय ही वह कर्मवीर बाधाओं को पारकर प्रशासनकेन्द्र में लोकप्रिय हो गया है। सत्य ही कहा गया है परिश्रमी पुरुषसिंह को लक्ष्मी प्राप्त होती है।

                                सारांश

बिहार के अतिदुर्गम भाग में भीखनटोला नामक गाँव में शिक्षाविहीन लोग अतिकष्टपूर्ण जीवन जीते थे। उस गाँव के बाहर में एक झोंपड़ी में एक निर्धन दलित
परिवार रहता था। उस गाँव से कोस भर की दूरी पर प्रशासन द्वारा स्थापित एक प्राथमिक विद्यालय था। उस विद्यालय में नवीन दृष्टि युक्त तथा सामजिक समरसता के पक्षधर एक शिक्षक पदस्थापित हुए। कभी भीखनटोला को देखने आये उस शिक्षक की दृष्टि एक क्रींड समलत बालक पर पड़ी। वह उस बालक के सहज आकर्षण से प्रभावित होकुर उसे अपने
विद्यालय ले जाकर पढ़ाने लगे। उनकी शिक्षण-शैली से आकर्षित वह बालक शिक्षा प्राप्ति को जीवन का परम लक्ष्य मानकर निरन्तर परिश्रम से पढ़ाई में दत्तचित्त, हो गया। अध्ययन ही छात्रों का तप है’ शिक्षक द्वारा यह उपदेश बार-बार पा कर वह बालक पिता के अर्थाभाव में भी छात्रवृति तथा कनीय छात्रों को पढ़ाकर उपज्जित धन से महाद्यालय में प्रवेश लिया। उच्च विद्यालय में तो उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया ही था महाविद्यालय में भी विश्वविद्यालय में स्नातक की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। साथ ही महाविद्यालय के पुस्तकागार में बहुत विषयों की पुस्तकों को आत्मसात् कर लिया। तदनन्तर एक वर्ष में ही उसने केन्द्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी ऊँचा स्थान प्राप्त किया वर्तमान में वह केंद्रीय प्रशासन का एक लोकप्रिय तथा ख्याति प्राप्त अधिकारी है,
उसकी प्रशासन क्षमता तथा निर्णय सामर्थ्य सबको ही प्रभावित करत कह गया है- परिश्रमी वीर पुरुष को ही लक्ष्मी प्राप्त होती हैं।

     अभ्यासः (मौखिकः)

1. एकपदेन उत्तरं वदत-

(क) कर्मवीरः क: अस्ति?

(ख) बिहारप्रान्तस्य दुर्गमप्राये प्रान्ते क: ग्रामः अस्ति?

(ग) भीखनटोला’ ग्रामे शिक्षक: कं दुष्टवान ? 

(घ) कर्मवीर: रामप्रवेश: कुत्र उन्नतं स्थानं प्राप्तवान्?

(ङ) केन कर्मवीरः उन्नतं स्थानमवाप?

उत्तर- (क) रामप्रवेश राम:
         (ख) भीखनटोला
         (ग) दलितबालकम्
         (घ) केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायाम्
         (ङ) स्वाध्यवसायेन
        अभ्यासः (लिखितः
      
1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
   (क) रामप्रवेशस्य ग्रामस्य नाम किम् अस्ति?
   (ख) भीखनटोलां द्रष्टुं क: आगत:?
   (ग) बालक: कस्य शिक्षणशैल्याकृष्ट:?
   (घ) स्नातकपरीक्षायां प्रथमस्थानं प्राप्य कस्य                ख्यातिमवर्धयत्?
   (ङ) उद्योगिनं पुरुषसिंहं का उपैति?
उत्तर- (क) भीखनटोला
         (ख) शिक्षक:
         (ग) शिक्षकस्य
         (घ) स्वमहाविद्यालयस्य
         (ङ) लक्ष्मी:
2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत- 
(क) ‘भीखनटोला’ ग्राम: कुत्र अस्ति?
(ख) प्राथमिकविद्यालये कीदृश: शिक्षक: समांगत:?
(ग) शिक्षक: कं शिक्षितुमारभत?
(घ) रामप्रवेशः कस्यां परीक्षायाम् उन्नतं स्थानमवाप?
(ङ) कयोः अर्थाभावेऽपि रामप्रवेश: महाविद्यालये प्रवेशमलभत?
(च) साक्षात्कारे समितिसदस्या: किमर्थं प्रीता: अभवन् । 
(छ) रामप्रवेशस्य प्रतिष्ठा कुत्र-कुत्र दृश्यते?
(ज) लक्ष्मी: कीदृशं जनम् उपैति?
उत्तर- 
(क) भीखनटोला ग्राम: बिहारराज्यंस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे अस्ति।
(ख) प्राथमिक विद्यालये नवीन दृष्टिसम्पन्न: सामाजिक सामरस्यरसिकः शिक्षक: समागत:।
(ग) शिक्षकः एकं दलितबालकं शिक्षितुमारभत ।
(घ) रामप्रवेश: केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायाम् उन्नतं स्थानमवाप।
(ड़) पित्रो: अर्थाभावेऽपि रामप्रवेशः महाविद्यालये प्रवेशमलभत।
(च) साक्षात्कारे समितिसदस्या: तस्य व्यापकेन ज्ञानेन तादृशे परिवार परिवेशे कृतेन श्रमेणाभ्यासेन च प्रीताः अभवन्।

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