प्रबंध के उद्देश्य का वर्णन करें ।

प्रबंध के उद्देश्य

प्रबंध कुछ उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कार्य करता है। उद्देश्य किसी भी क्रिया के अपेक्षित परिणाम होते हैं। इन्हें व्यवसाय के मूल प्रयोजन से प्राप्त किया जाना चाहिए। किसी भी संगठन के भिन्न-भिन्न उद्देश्य होते हैं तथा प्रबंध को इन सभी उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से एवं दक्षता से पाना होता है। उद्देश्यों को संगठनात्मक उद्देश्य, सामाजिक उद्देश्य एवं व्यक्तिगत उद्देश्यों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

(क) संगठनात्मक उद्देश्य–प्रबंध, संगठन के लिए उद्देश्यों के निर्धारण एवं उनको पूरा करने के लिए उत्तरदायी होता है। इसे सभी क्षेत्रों के अनेक प्रकार के उद्देश्यों को प्राप्त करना होता है तथा सभी हितार्थियों जैसे–अंशधारी, कर्मचारी, ग्राहक, सरकार आदि के हितों को ध्यान में रखना होता है। किसी भी संगठन का मुख्य उद्देश्य मानव एवं भौतिक संसाधनों के अधिकतम संभव लाभ के लिए उपयोग होना चाहिए। जिसका तात्पर्य है व्यवसाय के आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करना। ये उद्देश्य हैं- अपने आपको जीवित रखना, लाभ अर्जित करना एवं बढ़ोतरी।

जीवित रहनाकिसी भी व्यवसाय का आधारभूत उद्देश्य अपने अस्तित्व को बनाए रखना होता है। प्रबंध को संगठन के बने रहने की दिशा में प्रयत्न करना चाहिए। इसके लिए संगठन को पर्याप्त धन कमाना चाहिए जिससे कि लागतों को पूरा किया जा सके।

लाभव्यवसाय के लिए इसका बने रहना ही पर्याप्त नहीं है। प्रबंध को यह सुनिश्चित करना होता है कि संगठन लाभ कमाए। लाभ उद्यम के निरंतर सफल परिचालन के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रोत्साहन का कार्य करता है। लाभ व्यवसाय की लागत एवं जोखिमों को पूरा करने के लिए आवश्यक होता है।

बढ़ोतरीदीर्घ अवधि में अपनी संभावनाओं में वृद्धि व्यवसाय के लिए बहुत आवश्यक है। इसके लिए व्यवसाय का बढ़ना बहुत महत्त्व रखता है। उद्योग में बने रहने के लिए प्रबंध को संगठन विकास की संभावना का पूरा लाभ उठाना चाहिए। व्यवसाय के विकास को विक्रय आवर्त, कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि या फिर उत्पादों की संख्या या पूँजी के निवेश में वृद्धि आदि के रूप में मापा जा सकता है।

(ख) सामाजिक उद्देश्य–समाज के लिए लाभों की रचना करना है। संगठन चाहे व्यावसायिक है अथवा गैर व्यावसायिक, समाज के अंग होने के कारण उसे कुछ सामाजिक दायित्वों को पूरा करना होता है। इसका अर्थ है समाज के विभिन्न अंगों के लिए अनुकूल आर्थिक मूल्यों की रचना करना। इसमें सम्मिलित हैं- उत्पादन के पर्यावरण भिन्न पद्धति अपनाना, समाज के लोगों से वंचित वर्गों को रोज़गार के अवसर प्रदान करना एवं कर्मचारियों के लिए विद्यालय, शिशुगृह ैसी सुविधाएँ प्रदान करना। आगे बॉक्स में एक निगमित सामाजिक दायित्व को पूरा करने वाले संगठन का उदाहरण दिया गया ै।

(ग) व्यक्तिगत उद्देश्य–संगठन उन लोगों से मिलकर बनता है जिनसे उनका व्यक्तित्व, पृष्ठभूमि, अनुभव एवं उद्देश्य अलग-अलग होते हैं। ये सभी अपनी विविध आवश्यकताओं को संतुष्टि हेतु संगठन का अंग बनते हैं। यह प्रतियोगी वेतन एवं अन्य लाभ जैसी वित्तीय आवश्यकताओं से लेकर साथियों द्वारा मान्यता जैसी सामाजिक आवश्यकताओं एवं व्यक्तिगत बढ़ोतरी एवं विकास जैसी उच्च स्तरीय आवश्यकताओं के रूप में अलग-अलग होती हैं। प्रबंध को संगठन में तालमेल के लिए व्यक्तिगत उद्देश्यों का संगठनात्मक उद्देश्यों के साथ मिलान करना होता है।

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